आधुनिक शिक्षा और हम
आधुनिक शिक्षा और हम
काल सेंटर का जिधर भी देखिए फैला है जाल
है यह सब इंफार्मेशन टेकनोलोजी का कमाल
आज कमप्यूटर पे है अहले जहँ का इंहेसार
कर रहे हैँ इस्तेफ़दा लोग इस से हस्बेहाल
सब हैँ मायल साफ़्टवेयर टेकनोलोजी की तरफ
आई टी मेँ आज है बंगलोर को हासिल कमाल
हम फ़ज़ाई टेकनोलोजी मेँ किसी से कम नहीँ
आज सेटलाइट से मुम्किन है जो था पहले मोहाल
सिलसिले इंसैट के हैँ इस हक़ीक़त के गवाह
आसमाँ पर हम बिछा सकते हैँ सेटलाइट का जाल
हिंद सदियोँ से रहा है मर्कज़े इल्मो हुनर
यह हक़ीक़त है नहीँ इसमेँ ज़रा भी एहतेमाल
होमी भाभा एस धवन और ए पी जे अब्दुल कलाम
मादरे हिंदोस्ताँ के हैँ जलीलुलक़द्र लाल
दर हक़ीक़त आलमी शोहरत के हामिल हैँ यह लोग
हैँ अज़ीमूश्शान इनके कारनामे बेमिसाल
असरे हाज़िर मेँ नई क़दरोँ को हासिल है फ़रोग़
हो रहा है दिन बदिन अक़दारे कोहना का ज़वाल
आज कल ई मेल का है बोलबाला हर तरफ़
जिस से है शर्मिंदए ताबीर हर ख़्वाबो ख़याल
है उन्हीँ को आज हर शोबे मेँ हासिल इम्तेयाज़
करते हैँ आइंदा नस्लोँ की जो बेहतर देख भाल
एक़तेज़ाए वक़्त है साइंस हो जुज़वे निसाब
सुरखुरू होँ ता कि पढ़ लिख कर हमारे नौनेहाल
ज़िंददी की दौड मेँ हम भी न क्योँ आगे बढेँ
लोग सरगर्मे अमल हैँ हम हैँ क्योँ आख़िर निढाल
वक़्त की है यह ज़रूरत आजकल अहमद अली
उसका मुस्तक़बिल है रोशन जिस मेँ है फ़ज़लो कमाल
डा. अहमद अली बर्क़ी आज़मी
ज़ाकिर नगर, नई दिल्ली-110025
काल सेंटर का जिधर भी देखिए फैला है जाल
है यह सब इंफार्मेशन टेकनोलोजी का कमाल
आज कमप्यूटर पे है अहले जहँ का इंहेसार
कर रहे हैँ इस्तेफ़दा लोग इस से हस्बेहाल
सब हैँ मायल साफ़्टवेयर टेकनोलोजी की तरफ
आई टी मेँ आज है बंगलोर को हासिल कमाल
हम फ़ज़ाई टेकनोलोजी मेँ किसी से कम नहीँ
आज सेटलाइट से मुम्किन है जो था पहले मोहाल
सिलसिले इंसैट के हैँ इस हक़ीक़त के गवाह
आसमाँ पर हम बिछा सकते हैँ सेटलाइट का जाल
हिंद सदियोँ से रहा है मर्कज़े इल्मो हुनर
यह हक़ीक़त है नहीँ इसमेँ ज़रा भी एहतेमाल
होमी भाभा एस धवन और ए पी जे अब्दुल कलाम
मादरे हिंदोस्ताँ के हैँ जलीलुलक़द्र लाल
दर हक़ीक़त आलमी शोहरत के हामिल हैँ यह लोग
हैँ अज़ीमूश्शान इनके कारनामे बेमिसाल
असरे हाज़िर मेँ नई क़दरोँ को हासिल है फ़रोग़
हो रहा है दिन बदिन अक़दारे कोहना का ज़वाल
आज कल ई मेल का है बोलबाला हर तरफ़
जिस से है शर्मिंदए ताबीर हर ख़्वाबो ख़याल
है उन्हीँ को आज हर शोबे मेँ हासिल इम्तेयाज़
करते हैँ आइंदा नस्लोँ की जो बेहतर देख भाल
एक़तेज़ाए वक़्त है साइंस हो जुज़वे निसाब
सुरखुरू होँ ता कि पढ़ लिख कर हमारे नौनेहाल
ज़िंददी की दौड मेँ हम भी न क्योँ आगे बढेँ
लोग सरगर्मे अमल हैँ हम हैँ क्योँ आख़िर निढाल
वक़्त की है यह ज़रूरत आजकल अहमद अली
उसका मुस्तक़बिल है रोशन जिस मेँ है फ़ज़लो कमाल
डा. अहमद अली बर्क़ी आज़मी
ज़ाकिर नगर, नई दिल्ली-110025