होमी. जे.भाभा Remembering Homi. J. Bhabha
होमी. जे.भाभा
होमी भाभा नाज़िशे हिंदोसताँ
मुलक के भे नामवर साइंसदाँ
कियोँ न हो अहले वतन को उनपे नाज़
हमको बख़शा एक नक़शे जावदाँ
भे वह दुनियाँ भर मेँ अपने काम से
ऐटमी साइंस के रूहे रवाँ
अपने अफकारो अमल से भे सदा
मादरे हिंदोसताँ के पासबाँ
थे जो अपने काम से हर दिल अज़ीज़
हो गऐ रुख़सत वह हम से नागहाँ
उनके हैँ मरहूने मिननत अहले हिंद
जा बजा हैँ जिनकी अज़मत के निशाँ
उनकी इलमी ज़िनदगी का शाहकार
आज हर अहले नज़र पर है अयाँ
उनके ही नक़शे कदम पर आज तक
गामज़न है इलमो फ़न का कारवाँ
हो रहे हैँ लोग जिस से मुसतफीद
पहले था वह ख़ारिज अज़ वहमों गुमाँ
जिनके थे असलाफ फख़रे रोज़गार
गरदिशे दौराँ उनहैँ लाई कहाँ
पहले हम थे जिनके मंज़ूरे नज़र
ले रहे हैँ वह हमारा इमतेहाँ
उनका फ़ैज़ाने नज़र अहमद अली
इलम का है एक गंजे शायगाँ
होमी भाभा नाज़िशे हिंदोसताँ
मुलक के भे नामवर साइंसदाँ
कियोँ न हो अहले वतन को उनपे नाज़
हमको बख़शा एक नक़शे जावदाँ
भे वह दुनियाँ भर मेँ अपने काम से
ऐटमी साइंस के रूहे रवाँ
अपने अफकारो अमल से भे सदा
मादरे हिंदोसताँ के पासबाँ
थे जो अपने काम से हर दिल अज़ीज़
हो गऐ रुख़सत वह हम से नागहाँ
उनके हैँ मरहूने मिननत अहले हिंद
जा बजा हैँ जिनकी अज़मत के निशाँ
उनकी इलमी ज़िनदगी का शाहकार
आज हर अहले नज़र पर है अयाँ
उनके ही नक़शे कदम पर आज तक
गामज़न है इलमो फ़न का कारवाँ
हो रहे हैँ लोग जिस से मुसतफीद
पहले था वह ख़ारिज अज़ वहमों गुमाँ
जिनके थे असलाफ फख़रे रोज़गार
गरदिशे दौराँ उनहैँ लाई कहाँ
पहले हम थे जिनके मंज़ूरे नज़र
ले रहे हैँ वह हमारा इमतेहाँ
उनका फ़ैज़ाने नज़र अहमद अली
इलम का है एक गंजे शायगाँ